संस्थान के बारे में

एक संक्षिप्त इतिहास

Black and white photo of Satyajit Ray holding a film camera

सत्यजीत रे फिल्म और टेलीविजन संस्थान, जिसे एसआरएफटीआई के नाम से जाना जाता है, की स्थापना 1995 में भारत सरकार द्वारा सूचना और प्रसारण मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त शैक्षणिक संस्थान के रूप में की गई थी। संस्थान पश्चिम बंगाल सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1961 के तहत पंजीकृत है।

उद्घाटन सत्र 1 सितंबर 1996 को शुरू हुआ, जिसमें चार विशेषज्ञताओं की पेशकश की गई। इसके बाद, 2017 में, संस्थान ने छह अतिरिक्त पाठ्यक्रमों को शामिल करते हुए अपने इलेक्ट्रॉनिक्स और डिजिटल मीडिया विंग की शुरुआत की।

हमारी यात्रा

पहला शैक्षणिक सत्र 1 सितंबर 1996 को प्रारंभ हुआ। तब से संस्थान ने सिनेमा के छह विशेष क्षेत्रों में तीन वर्षीय स्नातकोत्तर कार्यक्रम प्रदान किए हैं: निर्देशन एवं पटकथा लेखन, संपादन, छायांकन, ध्वनि रिकॉर्डिंग एवं डिज़ाइन, फ़िल्म एवं टेलीविज़न के लिए प्रोड्यूसिंग, तथा एनीमेशन सिनेमा। वर्ष 2017 में, संस्थान ने इलेक्ट्रॉनिक एवं डिजिटल मीडिया (EDM) विंग की शुरुआत की, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया के छह विशेष क्षेत्रों — प्रबंधन, लेखन, निर्देशन एवं प्रोड्यूसिंग, छायांकन, संपादन, तथा ध्वनि — में दो वर्षीय स्नातकोत्तर कार्यक्रम प्रदान किए जाते हैं। SRFTI फ़िल्म सराहना, अभिनय, पुस्तकालय विज्ञान, डिजिटल संपादन और अन्य क्षेत्रों में विभिन्न अल्पकालिक पाठ्यक्रम भी संचालित करता है। अपनी अपेक्षाकृत छोटी अवधि के बावजूद, संस्थान ने उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की है, जिससे नए विशिष्ट अभ्यासों और नवोन्मेषी पाठ्यक्रमों का विकास संभव हुआ है। SRFTI के पूर्व छात्रों ने अपनी रचनात्मक उत्कृष्टता के लिए निरंतर प्रशंसा अर्जित की है और विचार, शिल्प एवं उद्यमिता के मेल से फ़िल्म निर्माण में नए रुझानों की शुरुआत की है। इनकी उपलब्धियों ने न केवल संस्थान को विशिष्टता प्रदान की है, बल्कि इसके वर्तमान छात्रों की प्रतिष्ठा और स्वीकार्यता को भी सिनेमा की प्रतिस्पर्धात्मक दुनिया में मज़बूती दी है। 22 अप्रैल 2025 को शिक्षा मंत्रालय द्वारा SRFTI को यूजीसी अधिनियम, 1956 की धारा 3 के अंतर्गत एक विशिष्ट श्रेणी के रूप में ‘माना गया विश्वविद्यालय’ का दर्जा प्रदान किया गया।

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